GST चोरी करने वालों पर कसेगा शिकंजा, पेनल्टी के साथ कानूनी कार्रवाई पर विचार
जीएसटी के तहत बढ़ रही टैक्स चोरीपर अंकुश लगाने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर अभियान शुरू करने वाली है। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स(जीएसटी) कलेक्शन कम होने से चिंतित सरकार अब इसके कारणों की पड़ताल में जुट गई है। डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने यह अभियान शुरू किया है।
चोरी पकड़ने के लिए इंटेलिजेंस और इनवॉइस मैचिंग का सहारा लिया जा रहा है। फिलहाल जीएसटी चोरी को लेकर सरकार का पूरा फोकस मल्टीब्रैंड रिटेल, कार डीलर, स्टील, पोर्ट सर्विसेज, रियल एस्टेट जैसे सेक्टर पर है। सरकार की ओर से कराए गए स्टडी में यह बात सामने आई है कि सबसे अधिक टैक्स की चोरी इन्हीं सेक्टरों में हो रही है। सूत्रों के मुताबिक, जीएसटी के तहत टैक्स चोरी करने वालों से न केवल पेनल्टी वसूली जाएगी, दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
कैसे की जा रही टैक्स चोरी?
वित्त मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों के मुताबिक, अब तक की जांच में यह बातें सामने आई है कि जीएसटी के तहत दो तरीके से टैक्स चोरी हो रही है। कई लोग फर्जी बिल के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट ले रहे हैं। इसके अलावा, कारोबार को कम करके बताया जा रहा है। इसका मतलब है कि प्रॉडक्ट की खरीददारी और बिक्री बगैर बिल के हो रही है।
बड़े पैमाने पर कैश में लेन-देन किया जा रहा है। साथ ही, सौदों में ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रिटेल और रियल एस्टेट में सौदे कम कीमत पर किए जा रहे हैं, यानी ब्लैक मनी का इसमें भी इस्तेमाल बढ़ रहा है। डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने शुरुआती जांच के बाद ऐसे लोगों की सूची तैयार की है, जिन पर टैक्स चोरी की आशंका है। अभी तक देशभर में इस सिलसिलें में चार ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी है और करीब 500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है।
वित्त मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों के मुताबिक, अब तक की जांच में यह बातें सामने आई है कि जीएसटी के तहत दो तरीके से टैक्स चोरी हो रही है। कई लोग फर्जी बिल के जरिए इनपुट टैक्स क्रेडिट ले रहे हैं। इसके अलावा, कारोबार को कम करके बताया जा रहा है। इसका मतलब है कि प्रॉडक्ट की खरीददारी और बिक्री बगैर बिल के हो रही है।
बड़े पैमाने पर कैश में लेन-देन किया जा रहा है। साथ ही, सौदों में ब्लैक मनी का इस्तेमाल किया जा रहा है। रिटेल और रियल एस्टेट में सौदे कम कीमत पर किए जा रहे हैं, यानी ब्लैक मनी का इसमें भी इस्तेमाल बढ़ रहा है। डायरेक्टर जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस ने शुरुआती जांच के बाद ऐसे लोगों की सूची तैयार की है, जिन पर टैक्स चोरी की आशंका है। अभी तक देशभर में इस सिलसिलें में चार ठिकानों पर छापेमारी हो चुकी है और करीब 500 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी पकड़ी गई है।
होगी कड़ी कार्रवाई
टैक्स एक्सपर्ट निखिल गुप्ता का कहना है कि जीएसटी के तहत टैक्स चोरी के खिलाफ सरकार ने कई सख्त प्रावधान किए हैं। 5 करोड़ रुपये तक की टैक्स चोरी पर पेनल्टी लगेगा। यह पेनल्टी कुल टैक्स चोरी का 15-100 पर्सेंट तक हो सकता है। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी पर 1-5 साल तक की जेल हो सकती है। टैक्स चोरी के कई मामलों में जमानत भी नहीं है। अगर किसी ने जाली इनवॉयस दिया हो या फिर किसी को माल बेचा हो और बिल न दिया हो, ऐसे मामलों में टैक्स चोरी अगर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है तो यह आर्थिक अपराध गैर जमानती होगा।
टैक्स एक्सपर्ट निखिल गुप्ता का कहना है कि जीएसटी के तहत टैक्स चोरी के खिलाफ सरकार ने कई सख्त प्रावधान किए हैं। 5 करोड़ रुपये तक की टैक्स चोरी पर पेनल्टी लगेगा। यह पेनल्टी कुल टैक्स चोरी का 15-100 पर्सेंट तक हो सकता है। 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की टैक्स चोरी पर 1-5 साल तक की जेल हो सकती है। टैक्स चोरी के कई मामलों में जमानत भी नहीं है। अगर किसी ने जाली इनवॉयस दिया हो या फिर किसी को माल बेचा हो और बिल न दिया हो, ऐसे मामलों में टैक्स चोरी अगर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है तो यह आर्थिक अपराध गैर जमानती होगा।
टैक्स कलेक्शन घटा
अप्रैल के मुकाबले मई में जीएसटी कलेक्शन में कमी आई है। मई में जीएसटी कलेक्शन 94,000 करोड़ रुपये रहा है। वहीं, अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये रहा था। टैक्स कलेक्शन में कमी पर वित्त मंत्रालय ने चिंता जाहिर की है। वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि टैक्स कलेक्शन कम होने से राज्यों को जीएसटी को लागू करने के बाद आमदनी में होने वाले कमी की पूर्ति करना और एक्सपोर्टरों को रिफंड देने में काफी दिक्कतें आ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त एक्सपोर्टर्स का करीब 20,000 करोड़ रुपये का रिफंड अटका हुआ है। इस बारे में वित्त मंत्रालय का कहना है कि ज्यादातर रिफंड शिपिंग बिल और जीएसटी रिफंड की जानकारी मैच नहीं होने से रोके जा रहे हैं। जानकारियां मैच नहीं होने की वजह से एक्सपोर्टर्स का 70 फीसदी से ज्यादा रिफंड अटका हुआ है।
अप्रैल के मुकाबले मई में जीएसटी कलेक्शन में कमी आई है। मई में जीएसटी कलेक्शन 94,000 करोड़ रुपये रहा है। वहीं, अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये रहा था। टैक्स कलेक्शन में कमी पर वित्त मंत्रालय ने चिंता जाहिर की है। वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि टैक्स कलेक्शन कम होने से राज्यों को जीएसटी को लागू करने के बाद आमदनी में होने वाले कमी की पूर्ति करना और एक्सपोर्टरों को रिफंड देने में काफी दिक्कतें आ रही है। एक अनुमान के मुताबिक, इस वक्त एक्सपोर्टर्स का करीब 20,000 करोड़ रुपये का रिफंड अटका हुआ है। इस बारे में वित्त मंत्रालय का कहना है कि ज्यादातर रिफंड शिपिंग बिल और जीएसटी रिफंड की जानकारी मैच नहीं होने से रोके जा रहे हैं। जानकारियां मैच नहीं होने की वजह से एक्सपोर्टर्स का 70 फीसदी से ज्यादा रिफंड अटका हुआ है।
Source: NavBhartTime
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